जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती। जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती।
यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है। यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है।
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
मैं अल्प हूँ, अत्यंत हूँ, मैं अंत हूँ, अनंत हूँ...! मैं अल्प हूँ, अत्यंत हूँ, मैं अंत हूँ, अनंत हूँ...!
महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है ! महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है !
मुददतों से है इंतजार जिसका वो बारिश अभी बरसी कहां। मुददतों से है इंतजार जिसका वो बारिश अभी बरसी कहां।